किसान का बेटा ॥ Myloveashish॥ ashishrksg ॥



अक्सर डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनना चाहता है, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर, व्यापारी का बेटा व्यापारी, पर किसान का बेटा क्या अपने देश में किसान बनना चाहता है? शायद नहीं! 

"नमस्कार दोस्तों मेरा नाम आशीष कुमार है। दोस्तों पढाई के साथ साथ मुझें कविताएँ और लेख लिखने का भी बहुत शौक है, जिसकी वजह से आये दिन मैं अक्सर नयी नयी कविताएँ और लेख लिखता रहता हूँ।"

देश की आबादी का बड़ा हिस्सा गांवो में रहता है और खेती ही उसकी आजीविका का साधन है। लेकिन रोज़मर्रा की ज़रूरतों ने लोगों को इस कदर मजबूर किया है कि लोग शहरों की तरफ भी भागे चले आ रहे हैं। किसानों पर राजनीति तो सभी दल करते हैं लेकिन हर सरकार में किसान पीड़ित रहता है।  गांव से शहर जिस उम्मीद में आता वो तो नहीं मिलता, पर उपेक्षा ज़रूर मिलती है। इन्हीं सब चीजों को देखते हुए मैंने एक कविता लिखी है।

शीर्षक :- "किसान का बेटा"

सुख दुख सब सहकर मैं
जननी जन्मभुमि की सेवा में
जीवन अपना लगाऊंगा।
गॉव में ही रहकर अपने पापा 
का खेती में हाथ बटाऊंगा,
मैं एक किसान का बेटा हूं
शहर को क्या करने जाऊंगा.....


सुनें हैं चर्चें मैने भी शहरों के,
करते हैं नौकरी मर मर के।
चाहे हो त्यौहार या बीमार
छोड़ के अपना घर परिवार 
दिन रोज एक सा बितातें है।
मैं तो अपना पूरा जीवन 
अपनों के साथ बिताऊंगा।
मैं एक किसान का बेटा हूं
शहर को क्या करने जाऊंगा.....



बेहतर है अपनें ही गॉव कि मिट्टी में,
उगाऊंगा कुछ ऐसीं फसलें।
फैलेगीं खुशबु शहरों तक,
जन जन की भुख मिटाएगी।
फिर होकर खुश  धन की देवी
अदभूत सुख संपदा बरसायेगी
अपनी सोच से किसानों के 
चेहरे पर एक खुशी लाऊंगा।
मैं एक किसान का बेटा हूँ,
शहर को क्या करने जाऊंगा.....



खुद कि नई पहचान बनेगी
भीड़ शहरों से ,गॉवों में बढ़ेगी
चर्चा चलेगी ऐसी चारों ओर
गर्व करेगा हर कोई किसानों पर
कर्म कुछ ऐसा कर जाऊंगा,
मैं एक किसान का बेटा हूँ,
शहर को क्या करने जाऊंगा...

                                        लेखक ----- आशीष कुमार ✍️
                    

Post a Comment

0 Comments