ऐसी उल्फत ही, आँखो से बयां होती है।
दोस्तों आज की कविता हमें लिख कर भेजी हैं अर्चना त्यागी जी ने।
और उनके आज की इस कविता का शीर्षक है "ऐसी उल्फत ही, आँखो से बयां होती है।"
मुझे उम्मीद है कि आप सब लोगों को ये कविता बेहद ही पसंद आयेगी।
शीर्षक :- ऐसी उल्फत ही, आँखो से बयां होती है।
कभी नजरें मिला कर,
वो नजरें चुराती है,!!!
दिल की चाहत को,
सबसे छुपाती है!!!
ऐसी उल्फत ही,
आंखों से बयां होती है!
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
रूक- रूक कर चलती,
चल कर रुकती है!! !
दिल की हालत कैसी,
बैचेन सी रहती है!!!
ऐसी उल्फत ही,
आंखों से बयां होती है!
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
रातों को जग-जग,
जागी सी सोती है!!!
खोयी सी आंखों में,
सूरत लिए फिरती है!!
ऐसी उल्फत ही,
आंखों से बयां होती है!
🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀
जिसके नाम के आने से,
मुस्कुराने लगती है!!!
क्या सोच के जाने फिर,
घबरा जाती है!!!
ऐसी उल्फत ही,
आंखों से बयां होती है!!
लेखक --- अर्चना त्यागी✍️
नोट- "दोस्तों अगर आप भी अर्चना जी की ही तरह अपनी कविता पोस्ट करवाना चाहते हैं तो आप हमें अपनी स्वरचित कविता, एक फ़ोटो, तथा अपना नाम और पूरा पता हमे हमारी ईमेल आई.डी. ashishrksg@gmail.com पर भेज सकते है।"

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